रोहतांग!
तंग, बंद!
आज की यात्रा, बिल्कुल सुबह ६:३०, टेम्पो ट्रैवलर से की जानी थी। ५१ में १२ लोग हमारे ग्रुप मे थे।
गत शाम से हल्की फुल्की बारिश, डिनर लेने के बाद चलती रही! यूँ टैन्ट में उसका अलग ही आनन्द आ रहा था, कुछ भीनी भीनी बरसाती ख़ुशबू के साथ।
लेकिन सुबह की यात्रा की सोच सुलग भी रही थी। सुबह ४:३० बजे चाय की सीटी, ५:३० नाश्ते की सीटी, ६:०० बजे लन्च पैक की सीटी के आज के नियमित कार्य चलते रहे! लेकिन ईश्वर भी तरस बनाये रखा, सुबह का सूरज साफ़ निकलने लगा, बादल हटने लगे, रोशनी छाने लगी।
कुल्लू से मनाली और मनाली से रोहतांग के रोड बहुत ही चोडे और अच्छे हैं अब, गाड़ी खूब तेज़ दौड़ती है , लेकिन उतना ही स्लिप ज़ोन होने से जगह जगह अवरोध बनना स्वाभाविक था।
अच्छे रोड का ये नुक़सान ज़रूर होता है, अच्छे द्रश्य फट से निकल जाते हैं।
Any way हिडिम्बा मंदिर, जिसकी कथा महाभारत से है, घटोत्कच के साथ। मंदिर परिसर देवदार से घिरा, बहुत ही रमणीय है।
कुछ किलोमीटर की अति सुन्दर पहाडो की बर्फ़ से ढकी श्रंखलाएँ , एकदम नीला आकाश, उमड़ते घुमडते बार बार नये स्वरूप बनाते सफ़ेद/ मटमैले बादल, व्यास नदी के बहाव के विरूद्ध हमारी यात्रा, पानी के सफ़ेद गोल बड़े-छोटे पत्थरों से टकराती पानी की कलरवी आवाज़ें, यात्रा को छोटा बना रहे थे! पता ही नहीं लगा कब हमने १५५० मीटर बेस केम्प से २०४६ मी की ऊँचाई पर हिडिम्बा पहुँच गये और फिर वहाँ से कब २८२५ मी के आईस पौईन्ट पर पहुँच गये। वहाँ के आगे नीचे से बस ३९७८ मीटर पर स्थित रोहतांग दर्रा दीखता है, बाक़ी सब , सारी सरपीली सड़कें —— बर्फ़ से ढकी है अभी।
और ये ही हमारा आज का टर्मिनल केन्द्र था।
वहाँ कोई मोबाईल सिगनल नहीं थे।no disturbance zone.
…बस था तो बस दांगडी में आईस बूट पहिने रंग बिरगें मस्त, उत्साहित बच्चे, अभी कुछ दिनों पहिले सालग शुरू के नवविवाहित जोड़े, उत्सुकता से फोटो सैशन करते। …और था तो सफ़ेद चादर औडे अचम्भित करती प्रकृति, ठंडी तेज़ हवा की सांय- सांय। काले बड़े कौऐ ज़रूर दीखे, मस्ती करते।
ऊपर स्नो स्कूटर , स्कीइंग, याक- घोड़ों की सवारी।
कुछ नहीं तो, बर्फ़ के ढेले फेंकते लोग, उसमें अपनी कलात्मकता कुरेदते बड़े-बच्चे।बाक़ी खाने पीने की हल्की फुल्की जुगाड़े।
शैलानी कितने आते होगे रोज़, आप सोचे… १-२ किमी तक साईड भर जाती हैं कारों और ट्रैवलर्स टेम्पो से।
—- फोटोज् / वीडीयोज् कम करने की हिमाक़त मैं नहीं कर पा रहा, आप जिस को भी पंसन्द करें।।
मेरी फ़ेसबुक डायरी ख़ाली न लगे।
—— देखिये आप , मेरी नज़रों से ये रूप।