पिछले बीस दिनों से मैं अपनी नौकरी से संबंधित यात्राएं और मीटिंग्स कर रहा था और मेरा आखिरी पड़ाव दिल्ली था। शुक्रवार को सारे जरूरी काम निपटाने के बाद मैंने अपनी बेटी को फोन किया।
पहले तो वह बहुत खुश हुई, लेकिन फिर बोली कि उसकी गर्मियों की छुट्टियां हो गई हैं और वह बोर हो रही है। वैसे वह अमूमन ऐसा नहीं बोलती क्योंकि वह बहुत ही क्रिएटिव है और अपनी ड्रॉइंग्स में व्यस्त रहती है। सो, मुझे थोड़ा अजीब लगा। मैंने सोचा, कोई बच्चों वाली फिल्म दिखा देता हूँ। सो, मैंने उसे ऑफर किया। उसने बोला, “उससे अच्छा आप मुझे किताबें दिला दो।” मैंने कहा, “ठीक है, कुछ नया ढूंढता हूँ,” बोलकर मैंने कॉल डिसकनेक्ट कर दी।
थोड़ी रिसर्च की क्योंकि गर्मी बहुत पड़ रही है इस समय। उत्तर में पारा 48 डिग्री तक चला गया है, दिल्ली में। सो, ऐसे में बाहर ले जाना रिस्की है। फिर मैंने नेहरू तारा मंडल और प्रधानमंत्री संग्रहालय के बारे में पढ़ा। दोनों आसपास ही हैं। तुरंत तैयार होने के लिए बोलकर मैंने टिकट बुक कर लिया और हम दिल्ली के दिल लुटियंस जोन में पहुंच गए।
तारामंडल का शो एक घंटे में खत्म हो गया और कुछ खास आनंद भी नहीं आया बेटी को। मुझे लगा अगला वाला तो और बोरिंग होगा, लेकिन सोच को किनारे करते हुए हम प्रधानमंत्री संग्रहालय पहुंच गए। टिकट आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीकों से ले सकते हैं।
शुरू में अंदर जाते हुए भयंकर गर्मी का अहसास हो चुका था। मुझे लगा कहीं ये कदम गलत तो नहीं हो गया। लेकिन अंदर पहुंचते ही वातानुकूलित स्वागत हॉल में बिसलेरी के पानी के साथ स्वागत हुआ। ऐसा लगा जैसे किसी मल्टीप्लेक्स में पहुंच गए हों। फिर हमने अपनी खोजी यात्रा शुरू की।
पहले हॉल में चल रही मूवीज से जो हमारा ध्यान आकर्षित हुआ, वह अंत तक बना रहा। सबसे अच्छी बात यह लगी कि हमारी पीढ़ी को ऐसा लगता कि हमारे यहां कुछ बदलाव ही नहीं हुए हैं। जबकि सच यह है कि हम कहां से कहां पहुंचे हैं, उसकी जानकारी ही नहीं है। क्योंकि हम सिर्फ विकसित देशों की तरफ देखते हैं और अपने सिस्टम और अपने आपको कोसते हैं कि हम यहां क्यों हैं। जबकि हमारे इतिहास जैसा किसी का नहीं।
पूरे परिसर का एक-एक कोना घूमने के बाद मेरी सात साल की बेटी ने खुश होते हुए बोला, "पापा, हमारे देश और हमारे देश के लोगों जैसा कोई नहीं, आई लव माय भारत " यह सुनने के बाद से मैं बहुत गौरवान्वित और आनंदित महसूस कर रहा हूँ।
मैं यह पोस्ट इसलिए नहीं लिख रहा कि मुझे अपनी स्टोरी बतानी थी, लेकिन इसलिए लिख रहा हूँ कि आप भी अपनी अगली जनरेशन को एक बार यहां लाएं और उन्हें अपने भारतीय होने पर गर्वित महसूस कराएं।
हमारे देश के इतिहास के बारे में उनका ज्ञान बढ़ाएं, जिससे वे भी आने वाले समय में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकें। मेरे द्वारा खींची हुई कुछ तस्वीरें यहां साझा कर रहा हूँ। अच्छा लगे तो शेयर करें।