Krishna Samajh Kar maar diya tha: YOGMAYA Temple

‘मन्दिर मन्दिर नगर नगर’ में आज से हम आपको प्रतिदिन एक मन्दिर की सैर करायेंगे !

तो शुरू करते हैं और आज आपको एक पांडवकालीन मन्दिर के दर्शन कराने लिये चलते हैं जो महरौली में कुतुबमीनार के ठीक पीछे में बना हुआ है।
हाँ जी यह है योगमाया मन्दिर।

माता योगमाया भगवान श्री कृष्ण की बहन थी।
इसे कंस ने कृष्ण समझ कर मार दिया था।
कहते हैं उनका शीश यहीं पर गिरा था।
तबसे इस मंदिर में योगमाया की पिंडी स्थापित है।

जोगमाया देवी भगवान कृष्ण की बहन जिनका जन्म देवकी से कृष्ण के पहले हुआ था। लेकिन कृष्ण की रक्षा के लिए उन्हें यशोदा के गर्भ में पहुँचाया गया था, जहाँ उन्होंने कृष्ण की बहन के रूप में जन्म लिया।
जबकि कृष्ण के जन्म के समय उन्हें देवकी-वासुदेव के यहाँ पहुँचाया गया था।
योगमाया ने कंस के वध में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और दिल्ली में एक प्राचीन मंदिर में उनकी पूजा की जाती है, जो महाभारत युग से जुड़ा है।

संक्षेप में आपको पूरी कहानी बताते हैं।
गर्गपुराण के अनुसार, जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने वाला था, तब देवकी के सातवें गर्भ को योगमाया ने बदलकर रोहिणी के गर्भ में पहुँचाया था, जिसके बाद बलराम का जन्म हुआ।
इसके बाद, योगमाया ने नंद और यशोदा की पुत्री के रूप में जन्म लिया।

योगमाया का जन्‍म कृष्ण के साथ हुआ था। योगमाया वह देवी हैं जिन्‍हें कृष्ण के पिता ने यमुना नदी पार करके लाया गया था और कृष्ण की जगह पर देवकी के बगल में रख दिया था। कंस ने इन्हें भी देवकी के अन्‍य संतानों की तरह मारना चाहा। लेकिन देवी योगमाया उसके हाथों से छिटककर आकाश में चली गई थीं और अपने वास्तिवक रूप में सामने आकर कंस की मृत्यु की भविष्यवाणी की।

योगमाया ने कृष्ण के साथ योगविद्या और महाविद्या बनकर कंस और अन्य असुरों का संहार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्रीमद्भागवत पुराण में योगमाया को विंध्यवासिनी और देवी दुर्गा का परोपकारी रूप भी कहा गया है।

कुछ मान्यताएँ इस मंदिर को पांडवों से जोड़ती हैं, और माना जाता है कि पांडवों ने युद्ध के बाद इसका निर्माण कराया था।
यह मंदिर 52 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है और देवी को पिंडी स्वरूप में पूजा जाता है।
कहते हैं कि इस मंदिर को खुद भगवान कृष्ण ने बनाया है।

पौराणिक कथा के अनुसार महरौली को पहले योगमाया देवता के नाम पर योगिनीपुरम कहा जाता था। मंदिर 5000 साल पुराना बताया जाता है। आश्‍चर्य की बात यह है कि ये मंदिर किसी इंसान ने नहीं बल्कि खुद भगवान ने बनवाया है।

बता दें कि देवी योगमाया को आदि शक्ति माँ लक्ष्मी का अवतार माना जाता हे। उन्हें सतगुण प्रदान देवी भी कहते हैं। इसी वजह से मंदिर में किसी भी तरह की बलि पर प्रतिबंध है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, योगमाया का अर्थ दैवीय भ्रम है और कई लोग उन्‍हें सभी प्राणियों की माता के रूप में पूजते हैं। योगमाया के अलावा, मंदिर में भगवान राम, शिव, गणेश और अन्य देवता भी विराजमान हैं।

एक बात और भी इस मन्दिर को और महत्वपूर्ण बनाती है। जब फूलों वाली की सैर महोत्सव मनाया जाता है तो जहाज महल से बख्तियार काकी होते हुए योगमाया मन्दिर तक एक यात्रा होती है जिसमें पंखा चढ़ाया जाता है। उसी पंखे से इस मंदिर में साल भर महामाया को हवा की जाती है।

फूलों वाली की सैर महोत्सव के बारे में जानिए मेरे अगले मन्दिर दर्शन में। इस साल 2025 का फूलवालों की सैर उत्सव 2 नवम्बर से 8 नवम्बर तक होने जा रहा था पर अफसोस इसे रद्द कर दिया गया है।

कैसे पहुँचें :

मेट्रो स्टेशन : कुतुबमीनार और साकेत दोनों जगह से यह 1.5 km की दूरी पर है।

बस स्टैंड : महरौली टर्मिनल से 100 मीटर की दूरी पर है और यहाँ से ये सब बसें चलती है।
34 ,413 ,427 ,463 ,493 ,502 ,505 ,516 ,533 , 534 ,539 ,629 ,715 ,725 ,886

https://maps.app.goo.gl/17txbaeMriH7cCsS6?g_st=aw

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