गोलघर या ( राउंडहाउस ) एक अनाज भंडार है | यह पटना के गांधी मैदान के पश्चिम में स्थित है , ब्रिटिश काल में बनाया गया था , इसकी ऊंचाई 29 मीटर और चौड़ाई 32 से 35 मीटर है यह आकृति में गोल है इसीलिए इसका नाम गोलघर रखा गया |
यह 20 जुलाई 1976 को बनकर तैयार हुआ था इसकी वास्तु कला को ( caption jhon garstin) ने डिजाइन किया था | इसके बनाने का मुख्य उद्देश अनाज भंडार को बढ़ावा देना जिससे अकाल के समय लोगों को अनाज की पूर्ति की जा सके | पर यह एक संयोग मात्र है कि इसे पूरा कभी नहीं भरा जा सका इसका कारण कई लोग इसके दरवाजे को मानते हैं और कुछ का मानना है कि यह इतना बड़ा था इसे भरना संभव ही नहीं था |
समय के साथ यह यह धीरे-धीरे कमजोर और जर्जर होने लगा था , फिर इसे बिहार सरकार ने अपने अंदर लेते हुए इसका पुनर्निर्माण शुरू किया जिससे आने वाले कालों में लोगों को एक राष्ट्रीय धरोहर के रूप में लोगों को दिखाया जा सके | इस पर ऊपर चढ़कर पटना का दृश्य देखना बहुत ही मनमोहक और सुंदर लगता था | मानो पूरे पटना को इसने अपनी गोद में बिठा रखा हो | यह अपने समय काल का सबसे ऊंचा इमारत था | इसका निर्माण कार्य अभी प्रगति पर है जिसस ऊपर जाने की इजाजत किसी व्यक्ति को नहीं है |बिहार सरकार ने इसको अपने अंदर लेते हुए इसका जीर्णोद्धार उद्धार करवाया और इसके अंदर पार्क बनाकर आम लोगों को और बच्चों को खेलने कूदने मौज मस्ती करने के लिए व्यवस्था करवाई गई है |
यहां पर आम दिनों में बच्चे मौज मस्ती और झूला झूलते मिल जाएंगे|
यह पटना और बिहार का ऐतिहासिक धरोहर है जिससे हमें संजो कर रखना चाहिए और इतिहास से यह सीख लेना चाहिए कि हमें अनाज भंडारों को बढ़ावा देना चाहिए जिससे आने वाले समय में हमें अनाज की आपूर्ति करने में कोई दिक्कत ना हो |
मैंने कुछ तस्वीरें खींची जो आपके साथ साझा करना चाहता हूं |
गोलघर के ऊपर चढ़ने का रास्ता |
जब भी आप पटना, बिहार आए तो इसे ऐतिहासिक धरोहर को देखना ना भूलें यह आपको इतिहास के उन पन्नों से परिचय करवाएगा जो हमारे बीते कालों में गुजर चुके हैं
धन्यवाद