गढ़ी पढ़ावली Garhi Padhavali - A Hundred Stories Carved in Stone

विश्वविख्यात बटेश्वर मदिर समुहोंसे केवल १०० मीटर की दूरीपर स्तिथ है गढ़ी पढ़ावली - एक ऐसा अजूबा जो दुनिया के नज़रों से दूर है फिरभी पत्थरों में तराशे असाधारण कला से रोशन है.

अजंता-एलोरा और खजुराहो के मंदिरों से भी बढ़चढ़कर एक ऐसा नंदी-मंडप है जहाँ एकही जगह पर आप पत्थरोंमें तराशी सैंकड़ो कहानियां देख सकते हैं.
इनमें प्रमुख हैं:

  1. शिव पुराण.
  2. विष्णु पुराण.
  3. कृष्ण लीला.
  4. ब्रम्हा, विष्णु, महेश अपने बचपन में, वयस्कता और बुढ़ापे में.
  5. सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलयुग जैसे विभिन्न युगों से काम मूर्तिकला का चित्रण.
  6. शिव-पार्वती विवाह का जुलूस.
  7. रामायण की कहानियाँ.
  8. महाभारत की कहानियां.
  9. स्वर्ग और नर्क की विस्तृत कहानियाँ.
  10. विष्णु के दशावतारों की विस्तृत नक्काशी.
  11. समुंद्र मंथन.
  12. विभिन्न पौराणिक जीव जैसे किचक, शार्दुल आदि.

दो पत्थर सिमाओं द्वारा अभिवादन करने और गढ़ी में सीढ़ियों पर चढ़ने के बाद आप एक प्रवेश द्वार देख सकते हैं.
यह चार मुख्य स्तंभों पर समर्थित अर्धमंडप और 16 खंभों पर समर्थित एक खुला मंडप है, जबकि गर्भगृह अस्तित्वहीन है.

मध्ययुग के किसी भयंकर भूकंप में मुख्य शिवमंदिर ढहकर उसके अवशेष भी विलुप्त हो गए.
अब केवल मण्डप बचा हुआ है, इसलिए आप कल्पना कर सकतें हैं कि मंदिर कितना भव्य रहा होगा.

19 वीं शताब्दी के प्रारंभ में धौलपुर के जाट राजा द्वारा छोटे किले या गढ़ी में तब्दील होने के कारण मंदिर को अब गढ़ी पढ़ावली के नाम से जाना जाता है.
25-30 फीट ऊंचे टीले पर स्थित इस आयताकार गढ़ी में एक मंदिर है, जो शिव को समर्पित है, जो संभवत: कच्छपघाटों द्वारा निर्मित है.

निचले collage में उपरवाले चित्र में शिव-पार्वती विवाह का चित्रण है और निचले चित्र में भगवान विष्णुके दस अवतारों को बखूबी तराशा गया है.

यात्रा के लिए Tips

• गढ़ी पढ़ावली मुरैना से बेहतर सुलभ हैं.
• यह ग्वालियर के उत्तर में लगभग 35 किलोमीटर या 22 मील और मुरैना शहर से लगभग 30 किलोमीटर या 9 मील पूर्व में है.
• मंदिर नूराबाद की ओर से करीब है.

स्मारक Tips

• वर्तमान में, कोई आधिकारिक गाइड सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन सुरक्षा गार्ड काफी जानकार है.
• यदि आप सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद उस स्थान पर पहुंचते हैं, तो सैकड़ों मोर देख सकते हैं
• मंदिर के बाहर पर्याप्त पार्किंग है.
• परिसर साफ है और प्रवेश द्वार के पास वॉशरूम और पानी की सुविधा है.

accessiblity_64.pngAccessibility Features for Garhi Padhavali

:heavy_check_mark: Ramp Access.

:heavy_check_mark: Wheelchair-accessible Entrance.

:heavy_check_mark: Wheelchair-accessible Restroom/Toilet.

:heavy_check_mark: Wheelchair-accessible Seating.

:heavy_check_mark: Wheelchair-accessible Parking.

आस-पास के आकर्षण

निम्नलिखित विश्व प्रसिद्ध धरोहर स्थल गढ़ी पढ़ावली के 30 किलोमीटर के दायरे में हैं:
1. ग्वालियर का किला
2. सहस्त्र-बाहु मंदिर
3. गोपाचल परबत
4. बटेश्वर मंदिर
5. चतुर्भुज मंदिर
6. ककनमठ मंदिर
7. एक्कातरसो महादेव मंदिर

क्या आप हाल ही में किसी जगह पर गए हैं जो आंशिक रूप से खंडहर था? मुझे जानने में दिलचस्पी होगी।
तब तक करिये… दिल खोलकर Guiding :blush:

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मुझे आपकी अद्भुत कहानी कहने की शैली बहुत पसंद है। @TusharSuradkar !!

मैं वास्तव में आपके साथ इस दौरे का आनंद ले रहा था। आपने बहुत अच्छी तरह से यह कहानी सुनाई है, मुझे यह बहुत अच्छा लगा, मेरे दोस्त।

धन्यवाद !!

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@TusharSuradkar शुुभ प्रभात। बहुत ही सुंदर शिक्षाप्रद लेख।

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बहुत बहुत धन्यवाद आपका अजित
इज्जत अफ़जाहिका शुक्रिया @AjitThite :smile:

दिल्लीसे शुभकामनाओंके साथ

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बहुत धन्यवाद आपका जीतेन्दर :blush:

@JSharma

दिल्लीसे शुभकामनाओंके साथ

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भारतीय भाषा के उपयोग पर आगे पहल करने के लिए बधाई @TusharSuradkar
इतना ही नहीं, लेकिन आपने HTML के माध्यम से कोलाज और एम्बेडिंग चित्रों के उपयोग पर भी सुधार किया है।

अब गढी पढावली के बारे में कुछ।
वह कितना प्राचीन है ??
क्या इस स्थान पर जाने के लिए किसी परमिट या टिकट की खरीद की आवश्यकता है?

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बहुत धन्यवाद आपका @C_T प्रेरणा के लिए :pray:
अनुमान है के इसका निर्माण १० वि शती ईसवी में किया गया था.
प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं.

मात्रा गाइड को कुछ पैसे देने पर उन्हें आनंद होता है.
बिना गाइड के मूर्तियोंको ताकने का कोई लाभ नहीं.

BR,
Tushar

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  • @TusharSuradkar इसी सन्दर्भ में कुछ रोचक तथ्य बताना चाहता हूं इसी मंदिर में डाकू मान सिंह ने भी घंटा लगवाया था और बागी मोहर सिंह और माधो सिंह ने यहीं पर सरेंडर किया था।
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नमस्कार,

** @TusharSuradkar **

दादा, लेख और टॉपिक दोनों बढ़िया।

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:open_mouth: बहुत आश्चर्य हुआ सुनकर की यहाँ डाकूओंका वास था.
बड़ा रोचक तथ्य है.

अपने देखा है क्या यह मंदिर @JSharma ?

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नमस्कार श्रुति,
बहुत धन्यवाद @Shrut19

दिल्लीसे शुभकामनाओंके साथ

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@TusharSuradkar yes I have seen in 1976 or 77. Adjoining area of this temple is called “bihad”. There are two rivers i.e. Yamuna and Chambal. Chambal always divert from its route and create Bihad.

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Very interesting @JSharma

I have heard about bihad and also seen when traveling via train but never got a chance to visit the bihad.

Are there any services that take us to a tour of the bihad?

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@TusharSuradkar no there is no any services to visit ti Bihad. In case you will visit to Gwalior, Muraina then see the Bihad with local one.

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Thanks, @JSharma for the tips.

I will try that option when visiting Gwalior next time :blush:
I am sure a walk through the bihads is going to be exciting and hopefully don’t meet any dacoits :roll_eyes:

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आपके द्वारा साझा की गई जानकारी अच्छी लगी दोस्त।

आपका दिन शुभमय रहे :blush:

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